अपने आप में ही बुखार ( Viral Fever ) सभी नवजात शिशुओं, बच्चो और युवाओं में एक ऐसी सबसे बड़ी परेशानी है, जिससे अभिभावकों में बेचैनी का भार इस कदर बढ़ जाता है की वे समझ नहीं पाते कि ऐसी स्तिथि में क्या किया जाये। बच्चे मैं बुखार की शिकायत होते ही कुछ लोगो में उनके अंदर का डाक्टर जन्म ले लेता है और इस मौसमी बुखार को आम बुखार समझ कर पहले 3-4 दिन का इंतजार करते हैं की शायद बुखार अपने आप चला जायेगा या पास के किसी कैमिस्ट वाले से बुखार की दवा ले आते हैं और खुद ही बच्चे का इलाज करने लगते हैं, जो की बच्चे के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है|

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है “मौसमी बुखार” Viral Fever एक ऐसी स्थिति का प्रतीक है, जिसमे यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में फैल सकता है, यानी अगर एक व्यक्ति मौसमी बुखार से संक्रमित है और दूसरा व्यक्ति उसके सम्पर्के में आता है तो यह बुखार उस दुसरे व्यक्ति को भी हो सकता है, इसलिए बुखार का पता लगते ही अच्छे डाक्टर को दिखायें और बुखार से संक्रमित व्यक्ति से बच्चो को दूर रखें|
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1. लक्षण
यदि 3 महीने से कम के बच्चों में 100.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार पाया जाये तो यह स्तिथि संकटदायक है, ऐसी स्थिति में देरी न करें क्योंकि ऐसे किसी भी मामले में मौसमी और बैक्टीरियल बुखार को पहचानना बहुत मुश्किल है। इसलिए बच्चे के इलाज के लिए दवाइयां बिना डाक्टर की परामर्श लिए न दें, अच्छा रहेगा यदि बच्चे को डाक्टर के पास ले जाये और डाक्टर से सही सलाह लें।
च्चों व वयस्कों में मौसमी बुखार का संकेत देने वाले विभिन्न लक्षण:
- थकावट
- सुस्ती
- मुसीबत आराम
- कप्कपना
- पैर व चेहरा सूजना
- उल्टी होना
- भूख न लगना
- आँखों में लाली
- आंतों में दर्द या सुजन
- तीन हफ्तों से अधिक खांसी होना
ऊपर दिए गये ये सभी लक्षण मौसमी बुखार होने की सम्भावना को दर्शातें हैं, अगर बुखार 101 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो बच्चे को जल्दी से जल्दी बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जायें ताकि समय रहते बच्चे का अच्छे से अच्छा इलाज हो सके और आपका विशेषज्ञ “रक्त परीक्षण” कराकर ये सुनिश्चित करेगा की बच्चे को मौसमी बुखार है या नहीं।
2. सुरक्षा
छोटे बच्चों को बुखार से ग्रसित लोगो से दूर रखें, यह बात काफी सामान्य सी है यदि बच्चे किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो बच्चे को भी बीमारी लगने की सम्भावना बनी रहती है क्योंकि बच्चे में प्रतिरोध छमता व्यस्क के मुकाबले काफी कम होती है और कोई भी बीमारी आसानी से बच्चे को जकड सकती है|
अपने बच्चे का मच्छरों से बचाव करने पर खासा ध्यान दें क्योंकि ये भी बुखार का कारण हो सकता है|
यदि कोई व्यक्ति मौसमी बुखार से ग्रसित है, तो शिशु को ऐसे व्यक्ति से दूर रखा जाना चाहिये जिसे बुखार हो क्योंकि बच्चो को ऐसी बीमारिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है| ये बात हमेशा ध्यान रखें की शिशु बेहद संवेदनशील होते है और ऐसे परिस्तिथि में इनकी देख करने के लिए बोहोत सावधानी बरतनी पड़ती है।
इस कुछ बातो का रखें खास ध्यान:
- बच्चे के कपड़ों को अच्छे से धोएं
- बच्चे के बर्तन को अच्छे से साफ करें
- हाथों को अच्छे से धोने की आदत डालें
- मच्छरों को दूर करने के लिए प्राकृतिक उपचार का प्रयोग करें
(नोट: बच्चो के आसपास बाजार में मिलने वाले किसी तरह के Liqued और Coil न जलाएं)
3. कैसे करें मौसमी बुखार का उपचार?
अधिकांश डाक्टरों का कहना है कि यदि बच्चे में बुखार महसूस होता है तो आमतोरपर गिला कपडा की तकनीक को इस्तेमाल करना चाहिये मतलब कि एक गिला कपडा पानी (85-90 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच) में भिगोकर माथे, पेट और बगल में रखना चाहिये ताकि शारीर के तापमान को कम किया जा सके और इस प्रक्रिया को दिन में कई बार दोहराएं|
- गुनगुना तरल पदार्थ दें, उदाहरण के लिए, पानी और सूप, ये गले में खराश और खांसी से छुटकारा दिलायेगा।
- बच्चे में पानी की कमी न होने दें बुखार के दोरान ओआरएस (ORS) दें ये पानी की कमी को पूरा करता है|
- स्वच्छता का खास ख्याल रखें शिशु के आस-पास साफ सफाई रखें, अच्छा रहेगा hand-sanitizer का उपयोग करें|
- नाक बंद होने और साँस लेने की परेशानी से निपटने के लिए एक vaporizer का उपयोग करें।
- नाक को सावधानी से पोछें नहीं तो बच्चे की नाक की त्वचा छीलने की सम्भावना बनी रहती है|
- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें|
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