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सिजोफ्रेनिया(SCHIZOPHERNIA)
बदलती जीवनशैली के कारण मनुष्य को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है आधुनिक युग में अधिकतर काम किसी न किसी वैज्ञानिक उपकरण की मदद से किये जाने लगे हैं अब व्यक्ति पुस्तकों की अपेक्षा अपने प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए इंटरनेट पर अधिक निर्भर रहता है इन संसाधनों की वजह से लोगों में व्यापक बदलाव आयें हैंI या यूँ कहें की पहले से शारीरिक क्रियाशीलता कम होने लगी है कड़ी से कड़ी मेहनत वाले काम नहीं कर सकता क्योंकि वह व्यक्ति आराम तलब जीवन जीने का आदी बनता जा रहा हैI उसी तरह से हमारा दिमाग भी पहले की अपेक्षा अधिक सक्रिय नहीं रह पाता हैI विपरीत समय में लोग अधिक सोचने लगते हैं जो नकरात्मक और भर्मित भी कर सकता हैI कभी-कभी अधिक सोचना हमें अनेक प्रकार के मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता हैI मानसिक रोग कई प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य और चेतना को दर्शित करता है हमारी मनोदशा सोच और व्यवहार को प्रभावित करता हैI धीरे -धीरे हम चितिंत होने लगते हैं हमारी याददाश्त गम होने लगती हैI मानसिक रोग अनेक प्रकर के होते हैं जिसे लक्षणों और परिस्थितियों के आधार पर अलग -अलग वर्गों में विभाजित किया गया है सिजोफ्रेनिया भी एक गंभीर मानसिक बीमारी हैI इस बीमारी की चपेट में दुनिया के करीब 1 फ़ीसदी आबादी ग्रसित हैIभारत में करीब 40,00000 लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है और पूरी दुनिया की बात की जाए तो करीब डेढ़ करोड़ लोग सिजोफ्रेनिया के अनेक प्रकार के लक्षणों से ग्रसित हैंI इसलिए सिजोफ्रेनिया के बारे में लोगों तक विस्तृत जानकारी पहुंचाना काफी महत्वपूर्ण हो जाता हैI

सिजोफ्रेनिया क्या है?(What is schizophrenia?)
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बिमारी है इसमें व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति को अत्यंत प्रभावित करती हैI जिसमे इंसान का व्यक्तित्व अव्यवस्थित हो जाता हैIवह हमेशा भ्रमित रहता है और काल्पनिक घटनाओं को सत्य मान लेता हैIउसे कभी आभास नहीं होता की वह बीमार हैI वह नकरात्मक विचारों और संदेह के नजरिये से लोगों को देखते हैं जो खुद को नुकसान पहुंचाने वाले होता हैI सिजोफ्रेनिया किसी भी उम्र में हो सकता है परन्तु अधिकांशत: 18 वर्ष के ऊपर आयु वाले इस रोग से ग्रसित होते हैंIसिजोफ्रेनिया का रोगी हमेशा चिड़चिड़ा और उदास रहते हैं उनमें आत्महीनता इतना भर जाती है की आत्महत्या भी कर सकते हैंIपुरुषों में सिजोफ्रेनिया के लक्षण महिलाओं की अपेक्षा कम उम्र में ही दिखने शुरू होते हैंI सिजोफ्रेनिया से ग्रसित रोगियों में अलग-अलग भी लक्षण देखने को मिलते हैंI सिजोफ्रेनिया से ग्रसित रोगी अपना खुद से देखभाल नहीं कर पाते हैं उनमें हमेशा संदेह और डर की भावना बनी रहती है जिसके कारण नौकरी करना काफी कठिन होता हैI सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों का सटीक पता लगाने के लिए इम्पॉसिज नामा उपकरण तैयार किया गया हैI जिससे सिजोफ्रेनिया के रोगी को लक्षणों को देखते हुए आसानी से पहचान किया जा सकता हैI सिजोफ्रेनिया के ठोस कारण का पता अभी तक नहीं लगाया गया है परंतु चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इसके लिए दिमाग के कुछ हिस्सों में न्यूरोकेमिकल्स के बढ़ोतरी को जिम्मेदार माना गया हैI
सिजोफ्रेनिया के मुख्य कारण (causes of schizophrenia)-
वैसे तो ठोस कारणों का पता नहीं लग पाया है परन्तु मनोचिकित्सक के अनुसार सिज़ोफ्रेनिया के इन कारणों इकाई बजाय जैसे कि कई बार इंसान के व्यावहारिकता और व्यवहारिकता और पर्यावरणीय कारण भी हो सकता हैI कई बार जेनेटिक्स और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैंI
- दिमाग में रसायन असंतुलन की वजह से –हमारे दिमाग में एक न्यूरोट्रांसमीटर पाया जाता है जिसे चिकित्सीय भाषा में डोपामाइन भी कहा जाता हैI यदि किसी कारणवश अगर डोपामाइन में असंतुलन आ जाए तो सिजोफ्रेनिया हो सकता है इसके अलावा अन्य न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन को भी जिम्मेदार माना गया हैI
- अनुवांशिकी कारणों से(genetic)- इसका तात्पर्य यह है कि परिवार के किसी पूर्वज या सदस्य पूर्व में इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित हों तो भी नई पीढ़ी को होने की संभावना बनी रहती हैI
- नशीले पदार्थों ,ध्रूमपान और अधिक मात्रा में शराब सेवन सेI
- कभी-कभी अधिक सोच ,रिश्तों में खटास ,पढ़ाई ,कैरियर के कारण लोगों में स्वत: नकरात्मक विचार उत्पन्न होने लगता हैI जिसके उपरान्त व्यक्ति तनाव में रहने लगता हैI जो सिजोफ्रेनिया की ऒर धकेलने में अहम् भूमिका निभाता हैI
- सिजोफ्रेनिया के प्रकार(Types of schizophrenia)-
लक्षणों के आधार पर सिजोफ्रेनिया को विविध श्रेणियों में बांटा गया हैI
- सकरात्मक लक्षण (positive symptoms)-इसे मानसिक लक्षण भी कहा जाता है इसमें ग्रसित व्यक्ति को हमेशा अपने आस-पास किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थित होने का भ्रम रहता हैI वह अपने साये को देखकर भी डरने लगता हैI
- भावनात्मक लक्षण (Emotional symptoms)-इस प्रकार के लक्षण में मरीज सुन्न (asleep)की भांति खोया हआ रहता है ना ही उसे अधिक दु:ख की अनुभूति होती है और ना ही सुख की वह हमेशा सोच की मुद्रा में दिखाई देता हैI
- नकरात्मक लक्षण (Negative symptomps)- सिजोफ्रेनिया के नकरात्मक लक्षण से ग्रसित रोगियों को पहचान करना काफी मुश्किल होता हैI इस तरह के रोगों को कोई मोनोचिकित्सक ही पहचान पाता हैI ऐसे लक्ष्यों से ग्रसित होने पर व्यक्ति हमेशा निराश,उदास और चिड़चिड़ा रहता हैI वह खुद का आत्महीन के नजरिये से देखता हैI
- संज्ञानात्मक लक्षण (congitive symptom)- इस प्रकार के रोग में मनुष्य का ध्यान एकाग्र नहीं रह पाता हैI वह अनेक प्रकार के सकरात्मक और नकरात्मक बातें सोचने लगता हैI
- सिजोफ्रेनिया के प्रमुख लक्षण(Symptomps of schizophrenia)-
- उल्टा सीधा बातें करना, व्यवहार में बदलावI
- काल्पनिक चीजों को सत्य माननाI वह स्वयं कुछ गलत विचार बना लेता है उसी आधार पर लोगों का आकलन करता हैI
- खुद से हीं बात करना,अचानक हंसना-रोनाI
- गलत सोच वह अपने लोगों को भी संदेह के नजरिये से देखनाI
- रोगी को आस-पास आवाजें सुनाई देती है कभी-कभी उन आवाजों को सत्य मानकर बात करने लगता हैI
- उसे भय,चिंता ,अनिंद्रा के साथ -साथ अपने जान को ख़तरा के प्रति सजग रहता हैI
- उसे कभी आभास नहीं होता की वह बीमार हैI
- सिजोफ्रेनिया के रोगी अपने भावनाओं को जगजाहिर नहीं कर पाते कभी खुशी और कभी दुख के फर्रुको महसूस नहीं कर पाते हैंI
- हमेशा लोगों से कटकर अकेला रहना चाहता हैI
सिज़ोफ्रेनिया के उपचार(Treatment of Schizophrenia)
सिजोफ्रेनिया का इलाज चिकित्सक (मनोवैज्ञानिक)साइकोथेरेपी और थेरेपी सेशन की मदद से करते हैं इसके अलावा अनेक प्रकार के साइकोलॉजिकल काउंसलिंग द्वारा किया जाता हैI इसके अलावा दवाइयां के साथ -साथ अनेक प्रकार योग और व्यायाम करवाया जाता हैI
नोट -यह उपरोक्त लेख केवल आपको इस रोग से अवगत कराने के लिए लिखी गयी है जो किसी भी प्रकार की इलाज की पुष्टि नहीं करती हैIअत :बेहतर इलाज के लिए चिकित्सक से संपर्क कर उनके बताये गए परामर्शों को नियमित रूप से पालन करेंI